उत्तराखंड सरकार ने बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य करने के बाद भी दफ्तर देर से आने वाले कर्मचारियों पर सख्ती करने का फैसला किया है। महीने में देरी से आने पर चेतावनी छुट्टी कटौती और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री धामी चाहते हैं कि सभी कर्मचारी समय पर आएं और सरकारी काम तेज़ी से हो।
शासन द्वारा बायोमेट्रिक प्रणाली से उपस्थित अनिवार्य करने के बाद भी कार्मिक समय से कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं। शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए लेट लतीफ कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
इसके अंतर्गत माह में एक दिन देरी से कार्यालय पहुंचने पर मौखिक चेतावनी, दो दिन देरी से पहुंचने पर लिखित चेतावनी, तीन दिन विलंब से पहुंचने पर एक दिन के आकस्मिक अवकाश की कटौती और चार या उससे अधिक दिन देरी से आने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
शासन ने इसी माह, यानी एक मई से सभी विभागों में बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए बाकायदा सभी विभागों को पत्र भी जारी किए गए। इसका उद्देश्य यह है कि कर्मचारी समय से कार्यालय पहुंचें और सरकारी कार्यों को गति प्रदान करें।
इसके लिए सभी कार्यालयों को अपने यहां बायोमेट्रिक मशीन दुरुस्त कराने के साथ ही आवश्यकता पडऩे पर नई मशीनों का क्रय करने को भी कहा गया। इस व्यवस्था को आरंभ हुए 15 दिन का समय बीत चुका है।
इस दौरान शासन के संज्ञान में यह बात आई कि अभी भी कई विभागों में अधिकारी व कर्मचारी बायोमेट्रिक प्रणाली के माध्यम से समय से अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं। इसे शासन ने गंभीरता से लिया है।
सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार सुमन ने इस संबंध में सभी प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष व जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि कार्यालयों में कार्मिकों की समय से उपस्थित सुनिश्चित की जाए।
सचिवालय में सुबह 09.45 बजे और अन्य कार्यालयों में 10:15 बजे के बाद आने वाले कार्मिकों के खिलाफ दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्यवाही की जाए। उन्होंने सभी से सख्ती से इस व्यवस्था का अनुपालन कराने की अपेक्षा की है।